डॅा0 भरत राज सिंह का जन्म 1947 में जनपद सुल्तानपुर के एक गाॅव में हुआ था। इनकी स्कूली शिक्षा सुल्तानपुर व जौनपुर से हुई तथा इन्होंने बी0 एस0 सी0 की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1967 में पूर्ण की। तदोपरान्त तकनीकी में गे्रजुएट शिक्षा, यांत्रिक संवर्ग में ’सरदार बल्लभ रीजनल कालेज सूरत गुजरात‘ से 1972 से, पोस्ट ग्रेजुएट यांत्रिक संवर्ग में ‘मोतीलाल रीजनल काॅलेज इलाहाबाद से 1988 में व पी0 एच0 डी0 की उपाधि यांत्रिक संवर्ग में गौतम बुद्ध तकनीकी विश्वविद्यालय लखनऊ से 2011 में प्राप्त की।
डाॅ0 सिंह प्रारम्भ से ही ‘विज्ञान व अन्वेषण’ में प्रतिभावान व्यक्तित्व के धनी छात्र रहे तथा इन्हें प्रदेश में महामहिम श्री राज्यपाल द्वारा विज्ञान में आविष्कार हेतु 1965 में एवार्ड प्रदान किया गया था। इसके अतिरिक्त ‘वेस्ट-आफिसर एवार्ड’ 1981 में तथा भूकम्प कार्य हेतु 2004 में समाज श्री के राष्ट्र्ीय एवार्ड से मुम्बई में नवाजा़ गया। डाॅ0 सिंह का 40 वर्षों से अधिक का अनुभव प्रशासनिक व शिक्षा के क्षेत्र में रहा है, जिसमें 32 वर्ष तक भारत सरकार, प्रदेश सरकार के संस्थानों में अभियन्ता स्तर से प्रबन्ध निदेशक स्तर तक सेवारत रहे तथा सेवानिवृत्ति के उपरान्त शिक्षण में पिछले 8-9 वर्षों से प्रोफेसर, हेड, डीन अतिरिक्त निदेशक विभिन्न स्तर पर तथा वर्तमान में निदेशक (शोध व विकास) के पद पर ’स्कूल आॅफ मैनेजमेन्ट साईसेन्स, तकनीकी परिसर, लखनऊ में कार्यरत है।
डाॅ0 सिंह ने प्रदेश की विभिन्न परियोजनाओं को नया आयाम दिया और 13 चीनी मिलो, 14-कताई मिलों, बी0 एच0 एल0 जगदीशपुर व वाराणसी जैसी अत्यन्त महत्वपूर्ण व सयमवद्ध परियाजनाओं को समय से पूर्व, पूर्ण कराकर नयी कीर्तिमान स्थापित की। शिक्षा जगत में शुरू से अति ‘सूक्ष्म एंव गहन’ चिन्तक होने के कारण सेवानिवृत्ति के उपरान्त पुनः अध्ययन प्रारम्भ किया और पिछले 8-9 वर्षों में विश्व में पर्यावरण व वातावरण परिवर्तन की दिशा में अद्वितीय कार्य किया है।
पी0 एच0 डी0 की उपाधि ही इनके चतुर्थ पढ़ाव का उदाहरण है। इन्होंने पर्यावरण की विश्वस्तरीय विभिषिका को कम करने हेतु हाईड्र्ोकार्बन ईंधन के स्थान पर ‘हवा से संचालित इंजन’ का आविष्कार किया जो इनके 2004 से 2010 तक के अथक प्रयास का फल है। इस प्रदूषण रहित इन्जन का छोटे वाहनों में उपयोग से 50-60 प्रतिशत कार्बन-उत्सर्जन में कमी का आंकलन किया गया है, जो विश्व व्यापी पर्यावरण विभिषिका को नयी दिशा देने में अग्रसर है।
इनके इस शोध की विश्व में अमेरिका, ब्राजील, कनाडा, जर्मनी, ईरान, ईराक, पाकिस्तान, चीन, ताइवान, बुज्गेरिया, थाईलैण्ड, कोरिया आदि देशो में न्यूज मीडिया, रेडिया, दूरदर्शन द्वारा पिछले दो वर्षों से अत्यन्त चर्चा का विषय बना हुआ है तथा ‘भारत सरकार के पेटेन्ट विभाग’ द्वारा 13 अपै्रल 2012 को पेटेन्ट भी नोटीफाई हो गया है।
डा0 सिंह के शोध के लगभग 60 पेपर्स विश्व स्तर के प्रतिष्ठित जनरल, कान्फेरेन्स, सेमिनार की कार्य सूची में दर्ज हो चुका है। इनके द्वारा 3 किताबें तथा 2- किताबों में चैप्टर भी यू0 के0 अमेरिका व क्रेाटिया से प्रकाशित हो चुकी है। डाॅ0 सिंह का विशिष्ट शोध कार्य क्षेत्र पर्यावरण से सम्बन्धित एअर इन्जन, थर्माेडाइनेमिक्स, अप्राकृकि मैनुफैक्चरिंग, अप्राकृतिक ऊर्जा व संरक्षण आदि है, जिस पर ये निरन्तर कार्यरत है।
डाॅ0 भरत सिंह को विश्वस्तरीय प्रतिष्ठित लगभग 20 जनरल व शोध संस्थानों ने ‘सदस्य व सलाहाकार सदस्य’ भी नियुक्त कर रखा है, जिसमें ये निरन्तर योगदान दे रहा है। इनसे प्रतिष्ठित संस्थान एल्सवीयर के साइन्स डारेक्ट, आईमेक यू0 के0 अमेरिकन इन्स्टीट्यूट आॅफ फिजिक्स द्वारा निरन्तर शोध हेतु सलाह ली जा रही है।
डाॅ0 भरत राज सिंह जी को उत्तर प्रदेश एवार्ड सोसाइटी ने 04 सितम्बर 2012 को ‘शिक्षा गौरव’ के सम्मान से सम्मानित किया।
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