श्री योगी आदित्य नाथ जी का जन्म देव-भूमि उत्तराखंड में ५ जून सन १९७२ को हुआ I प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने २२ वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिया I आपने विज्ञानं के वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आंदोलन से जुड़े रहे I अपने सन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ते हुए धर्म स्थल में बैठने के बजाए योकि की भांति गांव गांव व गली गली में निकल पड़े I सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तो की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी I इस अभियान ने एक आंदोलन का स्वरुप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ I अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तरप्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया I सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जम कर प्रहार किया I वृहद हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारो मतांतरित हिन्दुओ की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया I
गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं संवर्धन करवाया I पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की I आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गांव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओ ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया I बहु आयामी प्रतिभा के धनी योगी जी धर्म के साथ साथ सामाजिक,राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गए I अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर आपने वर्ष १९९८ में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र २६ वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा संसद बने I जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लगभग १५०० ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिंदुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको वर्ष १९९२, २००४ और २००९ के चुनाव में निरंतर बढ़ते हुए मतों से विजयी बनाकर चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया I
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रूचि लेने के कारण आपको केंद्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, चीनी और खाद तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्यिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी न्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय समय पर नामित किया I
व्यव्हार कुशलता.और कर्मठता से उपजी आपकी प्रबंधन शैली शोध का विषय है I इसी अलौकिक प्रबंधकीय शैली के कारण आप लगभग ३६ शैक्षणिक एवं चिकित्सिकीय संस्थाओ के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबंधक या संयुक्त सचिव है I
हिंदुत्व के प्रति अगाध प्रेम .तथा मन, वचन, और कर्म से हिंदुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दू महासंघ जैसी हिन्दुओ की अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत की इकाई के अध्यक्ष का महत्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष १९९७, २००३, में गोरखपुर में और २००८ में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया I सम्प्रति आपके प्रभावमंडल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ I
आपकी बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का भी है अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ साथ आप समय समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रुप में समाचार पत्रों में भेजते रहते है I अल्पावधि में ही यौगिक षट्कर्म, हटयोग स्वरूप एवं साधना, राजयोग स्वरूप एवं साधना तथा हिन्दू राष्ट्र नेपाल नामक पुस्तके भी आपने लिखी है I श्री गोरखनाथ मंदिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक योग वाणी के आप प्रधान संपादक है I तथा "हिंदवी" साप्ताहिक समाचार पत्र के भी आप प्रधान संपादक रहे है I मुख्यमंत्री के रूप में आपका कुशल नेतृत्व युगांतरकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है I
उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में श्री योगी आदित्य नाथ जी उत्तर प्रदेश को दिनों दिन विकास के रास्ते पर ले जाते हुए उत्तर प्रदेश को एक विकसित राज्य बनाने में जी जान से जुटे हुए है I
उत्तर प्रदेश के ऐसे गौरवशाली मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को अवार्ड काउंसिल ऑफ़ इंडिया अपने अवार्ड पोर्टल पर शामिल करते हुए उन्हें "उत्तर प्रदेश गौरव" के सम्मान से अलंकृत करते हुए हर्ष एवं गौरव का अनुभव कर रही है I
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